Application of Computers

Application of Computers

October 27, 2018 by Balmukund Maurya

APPLICATION OF COMPUTERS (कंप्यूटर के अनुप्रयोग)

आधुनिक जीवन में कंप्यूटर हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है| हम अपनी दिनचर्या में कंप्यूटर को कई अलग-अलग जगहों में कई अलग-अलग कार्यों के लिए उपयोग करते हैं , जिससे हमारा कार्य करने का तरीका और कार्य करने की गति में काफी ज्यादा सहायता मिलती है|  कंप्यूटर एक ऐसा यंत्र है जिसका प्रयोग भारी मात्रा में हमारे आधुनिक जीवन को और सरल बनाने के लिए उपयोग किया जाने लगा है , जिससे हमें कई तरह के जटिल कार्यों को बहुत आसानी से करने में मदद मिलती है| कंप्यूटर का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने के लिए किया जाता है| कंप्यूटर आने वाले दिनों में हमारे विभिन्न प्रकार के कार्यों को और सरल व सुगम बनाने की तरफ अग्रसर हो रहा है जिसका उपयोग आने वाले दिनों में बहुत तेजी से बढ़ता रहेगा और हमारी दिनचर्या में शामिल होने वाले विभिन्न प्रकार के कार्यों को कंप्यूटर के द्वारा हम बहुत ही आसानी से कर पाएंगे|

1. Education (शिक्षा)

शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है | वर्तमान समय में कंप्यूटर की वजह से विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा की गई खोजों और उनके द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रमों को स्टूडेंट्स के साथ साझा करने में मदद मिलती है|  कंप्यूटर की वजह से हम अपने विभिन्न रिसर्च कार्यों को बहुत ही सरलता से कर पाने में सहायता मिलती है| विभिन्न प्रकार के प्रैक्टिकल को सिमुलेशन की मदद से बहुत आसानी से समझा जा सकता है | इंटरनेट के प्रयोग से शिक्षा के क्षेत्र में जानकारियों को साझा करने में काफी सहायता मिलती है |

2.Banks (बैंक)

बैंकिंग के क्षेत्र में कंप्यूटर का बहुत बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है|  आज हम घर बैठे अपने बैंक खाते की जानकारी इंटरनेट के माध्यम से किसी भी समय ले सकते हैं या हम चाहे तो अपने बैंक खाते से इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करके किसी भी दूसरे के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं जिसकी सुविधा हमें कंप्यूटर के द्वारा ही संभव हुई है| बैंकिंग सेक्टर में विभिन्न प्रकार के रिकॉर्ड को रखने के लिए कंप्यूटर एक सरल माध्यम है जहां से जानकारियों को इकट्ठा करना और जानकारियों को निकालना बहुत ही आसान होता है और उनको बहुत आसानी से साझा भी किया जा सकता है|

3.Communication (संचार)

आधुनिक युग में संचार के लिए इंटरनेट एक सरल माध्यम है जो कम खर्चीला और ज्यादा तेजी से कार्य करने वाला है|  इंटरनेट के उपयोग से हम अपने संदेशों को किसी भी टाइम दुनिया में किसी भी कोने में बैठे किसी भी इंसान को भेज सकते हैं या प्राप्त कर सकते हैं|

इंटरनेट पर सोशल मीडिया के माध्यम से हम अपने विचारों को लोगों के साथ साझा कर सकते हैं|  आज के युग में इंटरनेट का सबसे ज्यादा उपयोग कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है क्योंकि यह सबसे सरल और आसान तरीका है| कम्युनिकेशन के लिए हम विभिन्न प्रकार के तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे ईमेल ,चैट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग etc.

4.Medicine (चिकित्सा)

चिकित्सा के क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग शरीर के अंदर बीमारियों का पता लगाने उनका विश्लेषण करने तथा उनके निदान दिलाने में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है| अल्ट्रासाउंड, डायलिसिस ,सीटी स्कैन , एक्सरे आदमी कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है|

5.Air-lines and Railway Reservation (एयर लाइनों और रेलवे आरक्षण)

कंप्यूटर के उपयोग से घर बैठे एयरलाइन रिजर्वेशन, रेलवे रिजर्वेशन आसानी से कर पाते हैं|  जिसकी वजह से समय की बचत होती है| फ्लाइट और ट्रेन की आने जाने से संबंधित बहुत सी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं जैसे किसी एक स्थान से दूसरे स्थान तक कौन-कौन सी ट्रेनें  या फ्लाइट जाती है उसका समय क्या है| इससे हमें यातायात सहायता मिलती है|

6.Recreation (मनोरंजन)

मनोरंजन के क्षेत्र में कंप्यूटर का बहुत बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है|  सिनेमाघरों टेलीविजन कार्यक्रमों तथा वीडियो गेम में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है | मल्टीमीडिया  ने तो हमारे मनोरंजन तरीका ही बदल दिया है| 3D गेम , 3D पिक्चर जैसी चीजें मनोरंजन के क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं|

7.Administration (प्रशासन)

प्रशासनिक कार्यो के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है| प्रशासन में पारदर्शिता लाने, सरकार के कार्यों को जनता तक पहुंचाने तथा  विभिन्न प्रशासनिक विभागों में बेहतर तालमेल के लिए ई गवर्नेंस का उपयोग किया जाता है |

8.Security (सुरक्षा)

सुरक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर का अलग अलग तरीके से प्रयोग किया जाता है मिसाइल, रडार,  वायुयान नियंत्रण आदि में कंप्यूटर का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है| कंप्यूटर के उपयोग से सुरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत बना पाना संभव हुआ है|

9.Commerce (व्यापार)

व्यापार के क्षेत्र में  भी कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है जिससे मूल्यों का निर्धारण,  मूल्यों की जानकारी जैसे जटिल कार्यों को बहुत आसानी से किया जा सकता है|

10.Science and Engineering (विज्ञान और इंजीनियरिंग)

विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग जटिल से जटिल कार्य को करने के लिए किया जाता है|  विज्ञान के क्षेत्र में कंप्यूटर के उपयोग से रहस्य को सुलझाने में काफी सहायता मिलती है| इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बहुत बड़े और जटिल कार्यों को कंप्यूटर की सहायता से बहुत आसानी से किया जा सकता है जिस से पैसे और समय दोनों की बचत होती है|

11.E-Commerce (ई-कॉमर्स)

ई-कॉमर्स एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर चीजों की खरीदारी तथा बिक्री ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से की जाती है जिससे टाइम की बचत होती है और यह सिर्फ  कंप्यूटर की वजह से संभव हो पाया है| आज ई-कॉमर्स एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जहां पर सामान बेचना और खरीदना बहुत आसान है|

Classification of Computers

Classification of Computers

October 27, 2018 by Balmukund Maurya

Classification of Computers

(कंप्यूटर का वर्गीकरण)

कंप्यूटर एक ऐसा यंत्र है जिसको कई अलग-अलग जगहों पर जरूरत के अनुसार प्रयोग किया जाता है | इसलिए कंप्यूटर का सीधे तौर पर वर्गीकरण करना बहुत ही मुश्किल है|  कंप्यूटर का वर्गीकरण उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों की के आधार पर तथा अनुप्रयोग के आधार पर किया जाता है | कंप्यूटर को तीन आधारों पर वर्गीकृत किया गया है:-  

  1. अनुप्रयोग के आधार पर (Application)
  2. आकर के आधार पर (Size)
  3. उद्देश्य के आधार पर (Purpose)

 

Figure :- Classification of Computer

1. अनुप्रयोग के आधार पर (Application)

1. Analog Computer :-

Analog Computer वे Computer होते है जो भौतिक मात्राओ (Physical quantities), जैसे- दाब (Pressure), तापमान (Temperature), लम्बाई (Length), ऊचाई (Height) आदि को मापकर उनके परिमाप अंको में व्यक्त करते है ये Computer किसी राशि का परिमाप तुलना के आधार पर करते है जैसे-  Thermometer, Speedometer.

Analog Computer मुख्य रूप से शोध संस्थानों,  तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है,  इन सभी क्षेत्रों में भौतिक मात्राओं जैसे तापमान दाब लंबाई ऊंचाई आदि को मापने की अधिक आवश्यकता होती है जिसके लिए एनालॉग कंप्यूटर सबसे अच्छा विकल्प है|

2.Digital Computer :-

डिजिटल कंप्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम पर  कार्य करता है| इसका उपयोग अंकों की गणना करने के लिए किया जाता है | इनपुट किए गए डेटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके इन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रयुक्त करते हैं| (Desktop, Laptop, Mobile, etc)

3.Hybrid Computer (Analog + Digital) :-

इसके द्वारा भौतिक मात्राओं को अंको में परिवर्तित करके उन्हें डिजिटल रूप में प्रोसेस करने का कार्य करता है|   (ECG, Dialysis machine, etc)

2. आकर के आधार पर (Size)

1. Microcomputers :-

माइक्रो कंप्यूटर छोटे (small) , कम लागत (low-cost ) वाले और single user डिजिटल कंप्यूटर हैं | उनमें सीपीयू, इनपुट यूनिट, आउटपुट यूनिट, स्टोरेज यूनिट और सॉफ्टवेयर शामिल होते हैं| (PC, Laptop, notebook computer, smart phone, Palmtop).

2. Mini Computer :-

यह आकार में माइक्रो कंप्यूटर से बड़े होते हैं और मल्टी यूजर होते हैं | इसमें एक साथ 250 यूज़र तक काम कर सकते हैं | इनकी कार्य करने की क्षमता माइक्रो कंप्यूटर से कई गुना होती है |

3. Mainframe :-

मेनफ्रेम आकार में बहुत बड़ा है और महंगा कंप्यूटर है | इसमें एक साथ सैकड़ों या हजारों यूज़र तक काम कर सकते हैं | इसका उपयोग बड़ी कंपनियों द्वारा Server कंप्यूटर के रूप में किया जाता है

4. Supercomputer :-

सुपरकंप्यूटर वर्तमान में उपलब्ध सबसे तेज़ कंप्यूटरों में से एक हैं। सुपरकंप्यूटर बहुत महंगा होते हैं और विशेष अनुप्रयोगों के लिए नियोजित होते हैं | उदाहरण के लिए, मौसम पूर्वानुमान, वैज्ञानिक सिमुलेशन, (एनिमेटेड) ग्राफिक्स,  परमाणु ऊर्जा अनुसंधान, इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन, और भूवैज्ञानिक डेटा का विश्लेषण में प्रयोग किए जाते हैं ।

 विश्व का प्रथम सुपर कंप्यूटर Cray  रिसर्च कंपनी द्वारा 1976 में विकसित Cray-1 था |

भारत में निर्मित सुपर कंप्यूटर:-

  1. PARAM 8000
  2. PARAM 10000
  3. Aaditya – आदित्य
  4. Anupam – अनुपम
  5. PARAM Yuva – परम युवा
  6. PARAM Yuva II – परम युवा द्वितीय
  7. EKA – एका

3. उद्देश्य के आधार पर (Purpose)

1.सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर (General Purpose Computer) :-

इन कंप्यूटर्स में अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है | जैसे Word Processing,  Document को छापना , डाटाबेस बनाना।

2. विशिष्ठ उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer) :-

इन कम्प्यूटर को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता है इन कंप्यूटर के C.P.U. की क्षमता उस र्य के अनुरूप होती है। जिस कार्य के लिए इस कंप्यूटर को बनाया जाता है।  जैसे – अंतरिक्ष विज्ञानं ,मौसम विज्ञानं , उपग्रह संचालन में ,चिकित्सा के क्षेत्र में, यातायात नियंत्रण में , इंजीनरिंग आदि क्षेत्रो में इन कंप्यूटर का प्रोयग किया जाता है।  

Generations of Computer

Generations of Computer

October 26, 2018 by Balmukund Maurya

Generations of Computer

(कंप्यूटर की पीढियां)

(I) First Generation (1946-1954)

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब ( Vacuum Tubes) का प्रयोग किया जाता था|  इस पीढ़ी के कंप्यूटर का आकार बहुत ही बड़ा होता था और अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण  इस को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशन का उपयोग किया जाता था| इनकी कार्य करने की गति बहुत धीमी थी तथा इनका मूल्य भी बहुत अधिक होता था| इस पीढ़ी के कंप्यूटर में  ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग नहीं किया जाता था जिसकी वजह से बहुत से कार्य स्वयं ही करने पड़ते थे जिनके लिए अलग-अलग तरह के कई स्विच का इस्तेमाल होता था| इस में प्रयोग की जाने वाली वेक्यूम ट्यूब की खोज  ली  डीफॉरेस्ट (Lee DeForest) 1908 में की थी| इस पीढ़ी के कंप्यूटर में इनफॉरमेशन को स्टोर करने के लिए मैग्नेटिक ड्रम और मैग्नेटिक कोर का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें मैग्नेटिक कोर प्राइमरी मेमोरी की जगह प्रयोग किया जाता था|  इसमें इनपुट के लिए पंच कार्ड और पेपर टेप का उपयोग किया जाता था तथा आउटपुट  प्रिंटआउट के रूप में मिलता था|  इस पीढ़ी में आउटपुट को किसी भी तरह की स्क्रीन पर डिस्प्ले नहीं किया जाता था|

1.The first generation of computers used Vacuum Tubes

2.The Vacuum tube was developed by Lee DeForest in 1908

3.Storage :- Magnetic Drums and Magnetic Core

4.The input to the computer was through punched cards and paper tapes

5.The output was displayed as printouts.

इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटरों के नाम इस प्रकार हैं:- ENIAC, EDVAC, UNIVAC-1, UNIVAC-2, IBM-701, IBM-650 |

नुकसान (Disadvantages) :  आकार बहुत बड़ा था,  अत्यधिक महंगे होने के कारण सामान्य लोगों की पहुंच से दूर थे, अधिक ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण ठंडा करने के लिए एयर कंडीशन का उपयोग जरूरी था ,  कार्यक्षमता बहुत ही कम थी|

(II) Second Generation (1956 to 1963)

 दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब  की जगह ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाने लगा था|  जो वैक्यूम ट्यूब की तुलना में आकार में छोटा और कार्य क्षमता अधिक थी|  इस पीढ़ी के कंप्यूटर का आकार प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में छोटे और अधिक कार्य क्षमता तथा विश्वसनीय होते थे  और इनके निर्माण में खर्च में भी कमी आई थी|   यह कम उत्पन्न करते थे ऊष्मा  फिर भी इन को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशन की आवश्यकता पड़ती थी|  इस पीढ़ी के कंप्यूटर में प्राइमरी मेमोरी के स्थान पर मैग्नेटिक कोर  का उपयोग किया जाता था  तथा सेकेंडरी मेमोरी के स्थान पर मैग्नेटिक टेप का उपयोग होता था|  इस पीढ़ी में भी आउटपुट प्रिंटआउट के रूप में मिलता था|  इस पीढ़ी में कुछ हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज काफी विकास हुआ  जैसे FOTRAN, ALGOL  और COBOL|

1.Transistors replaced the Vacuum Tubes.

2.विलियम शॉकले (William Shockley) ने ट्रॉंजिस्‍टर का आविष्‍कार सन् 1947 में किया था

3.Primary memory : magnetic cores, Secondary memory : magnetic tape

4.The input to the computer was through punched cards and paper tapes

5.The output was displayed as printouts.

6.Used high-level languages such as FORTRAN (1956), ALGOL (1960) & COBOL (1960 – 1961).

इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर इस प्रकार हैं:- IBM 1620, IBM 7094, CDC 1604, CDC 3600, UNIVAC 1108

नुकसान (Disadvantages) :  आकार बहुत बड़ा था,  अत्यधिक महंगे होने के कारण सामान्य लोगों की पहुंच से दूर थे, अधिक ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण ठंडा करने के लिए एयर कंडीशन का उपयोग जरूरी था ,  कार्यक्षमता बहुत ही कम थी|

(III)Third Generation (1964 to 1971)

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर के स्थान पर इंटीग्रेटेड सर्किट (imtegrated Circuit) का उपयोग किया जाता था,  जिनको सिलिकॉन चिप भी कहते हैं| IC  चिप आकार में बहुत छोटे होते थे और एक चिप पर सैकड़ों ट्रांजिस्टर के बराबर कार्यक्षमता  थी | आईसी चिप से बने कंप्यूटर आकार में छोटे तथा तीव्र गति और विश्वसनीय कंप्यूटर थे|

इस पीढ़ी के कंप्यूटरों  इंफॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए स्टोरेज डिवाइस जैसे डिस्टैब आदि का भी विकास हुआ|  इसी पीढ़ी से मल्टीप्रोग्रामिंग और मल्टी प्रोसेसिंग का भी विकास संभव हो गया था|  इस पीढ़ी में इनपुट डिवाइस कीबोर्ड और माउस का भी उपयोग होना प्रारंभ हो गया था जिसकी वजह से कंप्यूटर को दिए जाने वाले निर्देशों में सरलता आई थी|  इसी पीढ़ी ने आउटपुट के लिए मॉनिटर जैसे आउटपुट डिवाइस का भी विकास हुआ और इनका उपयोग प्रारंभ हो चुका था|  इसमें हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के साथ-साथ ऑपरेटिंग सिस्टम का भी विकास हुआ जिससे कंप्यूटर की कार्य करने की क्षमता में काफी तेजी आई| इस पीढ़ी में उपयोग होने वाली मुख्य चिप IC की खोज Jack Kilby ने 1959 में की थी|

1.IC replaced the Transistors.

2.The IC was invented by Jack Kilby  in 1959.

3.Primary memory : magnetic cores, Secondary memory : magnetic disc

4.The input to the computer was through Keyboard  and Mouse

5.The output was displayed as Monitor.

6.Used high-level languages such as FORTRAN (1956), ALGOL (1960) & COBOL (1960 – 1961), BASIC.

इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटरों के नाम इस प्रकार हैं:- IBM-360 series ,Honeywell-6000 series, PDP (Personal Data Processor),  IBM-370/168, TDC-316

नुकसान (Disadvantages) :-  IC  आईसी चिप  के रखरखाव की अधिक आवश्यकता थी|

(IV) Fourth Generation (1971 to 1980)

इस पीढ़ी के कंप्यूटर में LSI  और VLSI  तकनीकी का उपयोग किया जाता है| कल भी इस पीढ़ी के कंप्यूटर का उपयोग होता है| इस में प्रयोग होने वाली चिपको माइक्रोप्रोसेसर के नाम से जानते हैं जिस की कार्यक्षमता बहुत अधिक होती है,  जिस हजारों लाखों ट्रांजिस्टर के बराबर कार्य करने की क्षमता होती है|  इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत छोटे होते हैं जो एक सामान्य मेज पर रखे जा सकते हैं| बिजली की खपत बहुत कम होती है तथा  इन को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशन की आवश्यकता नहीं पड़ती| इनका मूल्य कम होने की वजह से  आम नागरिक भी इसका उपयोग कर सकते हैं| इसी  पीढ़ी में MS-DOS, MS Window  जैसे बहुत ही प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ जिसकी वजह से कंप्यूटर की कार्य क्षमता कई गुना बढ़ गई| स्पीडी में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस टेक्नोलॉजी काफी विकास हुआ|

1.Use the Large Scale Integration (LSI) and the Very Large Scale Integration (VLSI) technology.

2.MS-DOS and MS Windows developed during this time.

3.All the high-level languages like C, C++, DBASE etc

4.Graphical User Interface (GUI) technology

इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटरों के नाम इस प्रकार हैं:- IBM 4341, DEC 10, STAR 1000, PUP 11

(V) Fifth Generation(1980- continued)

इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में ULSI  तकनीकी का प्रयोग किया जाता है तथा साथ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी का भी उपयोग किया जाता है जिससे कंप्यूटर की कार्य करने की क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता काफी बेहतर हो जाती है तथा कंप्यूटर मनुष्य की तरह सोचने और निर्णय लेने की भी क्षमता विकसित होती है|  हालांकि इस  पीढ़ी पर अभी कार्य चल रहा है जिसमें काफी सफलता भी मिली है और आने वाले दिनों में बहुत कुछ कंप्यूटर में परिवर्तित होता हुआ दिखाई देगा| इस पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर जैसे कई उदाहरण उपलब्ध हैं, कार्य क्षमता सामान्य कंप्यूटर की तुलना में कई  हजार गुना ज्यादा होती है, जिनका उपयोग मुख्यतः वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों में किया जाता है|

1.Use the Ultra Large Scale Integration (ULSI).

2.64 bit microprocessors have been developed during this period.

3.All the high-level languages and Natural language processing.

4.Advancement in Parallel Processing

इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर के उदाहरण इस प्रकार हैं:- Desktop, Laptop, Notebook, Ultra Book, Chrome Book

History of Computers

History of Computers

October 26, 2018 by Balmukund Maurya

कंप्यूटर का इतिहास

(History of Computers)

आधुनिक कंप्यूटर को अस्तित्व में आए हुए मुश्किल से 50 वर्ष ही हुए हैं लेकिन इसके विकास का इतिहास बहुत पुराना है|  कंप्यूटर का जो स्वरूप आज हम देख रहे हैं वह अचानक ही विकसित नहीं हुआ,  बल्कि यहां हजारों वर्षों की वैज्ञानिक खोजें और विभिन्न प्रकार के आविष्कारों से संभव हुआ है |

गणना करने के लिए सर्वप्रथम अबेकस (Abacus)  अस्तित्व  में आया था और इसके बाद विभिन्न प्रकार के  यंत्रों का विकास हुआ जिनका उपयोग गणना करने के लिए किया जाता था  उनमें से कुछ यंत्रों का उपयोग आज भी  गणना करने के लिए होता है|

इसका संक्षिप्त परिचय नीचे दिया गया है:-

(a) Abacus (अबेकस )

Abacus का आविष्कार चीन में 16 वी शताब्दी में ली काई चेन के द्वारा किया गया था | इसका इतिहास 5000  वर्ष से भी ज्यादा पुराना है| आश्चर्य कर देने वाली बात है Abacus आज भी अपने प्रारंभिक रूप मेंदेखा जा सकता है|

Abacus  लकड़ी का आयताकार ढाँचा होता है,  जिसमें क्षैतिज छड़े होती हैं| इन क्षणों में तारों की सहायता से छिद्र युक्त मिट्टी या लकड़ी के  गोल  टुकड़े पिरोए रहते हैं | यह दो भागों में  बटा होता है इसके ऊपरी भाग को हैवन तथा नीचे के भाग को अर्थ कहां जाता है| ऊपर वाले गोल टुकड़े का मान 5 होता है तथा नीचे वाले प्रत्येक गोल टुकड़े का मान 1 होता है| इस का प्रयोग जोड़ (addition) घटने (subtraction) के लिए किया जाता था |

(b) Napier’s Bons  (नेपियर बोन्स )

Napier’s Bons का अविष्कार स्कॉटलैंड में 1617 में John Napier के द्वारा कुछ आयताकार  पट्टियों का निर्माण किया गया था किया गया था,  जिसकी सहायता से गुणा करने  की क्रिया अत्यंत शीघ्रतापूर्वक की जा सकती थी |  इन पट्टियों का निर्माण जानवरों की हड्डियों से किया जाता था, इसी कारण इसका नाम नेपियर बोंस पड़ा|  इस का प्रयोग एडिशन, सब्ट्रैक्शन, मल्टिप्लिकेशन और डिवीज़न के लिए किया जाता था ।

(c) Slide Rule (स्लाइड रूल)

Slide Rule का अविष्कार जर्मनी में 1620 में विलियम आट्रेड के द्वारा किया गया था| इसके द्वारा लघुगुणक विधि के आधार पर सरलता से गणनाएं  की जा सकती थी | इसमें दो विशेष प्रकार से चिन्हित पट्टियां होती हैं, बराबर में रखकर आगे पीछे खिसकाया जा सकता है| इस का प्रयोग वर्गमूल (Square root), लघुगणक (Logarithm) एवं त्रिकोणमित्तीय फलनों (Trigonometric Functions) की गणना के लिए किया जाता था ।

(d) Pascal’s Calculator ( पास्कल का गणना यंत्र)

Pascal’s Calculator का अविष्कार फ्रांस में 1642 में Blaise Pascal  के द्वारा किया गया था | यह गणनाएं करने वाला पहला वास्तविक यंत्र था|  इसका निर्माण पास्कल ने अपनी 18 वर्ष की उम्र में अपने पिता जो कि एक टैक्स सुपरिंटेंडेंट थे उनकी सहायता के लिए किया था| इस का प्रयोग एडिशन, सब्ट्रैक्शन, मल्टिप्लिकेशन और डिवीज़न के लिए किया जाता था ।

(e) Mechanical Calculator of Leibniz  (लिबनिज़ का मैकेनिकल कैलक्यूलेटर)

इस का अविष्कार जर्मनी में 1671 में गाटफ्रीड विलहेल्म लाइबनिज   के द्वारा किया गया  था | इसका निर्माण पास्कल के कैल्कुलेटर में कई महत्वपूर्ण बदलाव के बाद संभव हुआ, इस का प्रयोग एडिशन, सब्ट्रैक्शन, मल्टिप्लिकेशन और डिवीज़न के लिए किया जाता था ।इस यंत्र से गणनाएं करने की गति तीव्र हो गई|  इस मशीन का व्यापक पैमाने पर निर्माण किया गया था| कार व स्कूटर के स्पीडो मीटर में इसका उपयोग होता है |

(f) Difference Engine  (डिफरेंस इंजिन)

इस का अविष्कार ब्रिटिश में 1822 में चार्ल्स बैबेज   के द्वारा किया गया था |  जिनको आधुनिक कंप्यूटर का जनक कहा जाता है| इसके द्वारा विभिन्न बीजगणितीय फलनों का मान दशमलव के 20 स्थानों तक शुद्धता पूर्वक ज्ञात किया जा सकता था|  इस मशीन में शाफ़्ट और गियर लगे होते थे तथा यह मशीन भाप से चलती थी | इस मशीन का उपयोग उन दिनों डाक, रेल,  बीमा,  तथा  व्यावसायिक क्षेत्रों में व्यापक रूप से किया जाता था|

(g) Analytical Engine (1833)

डिफरेंस इंजन की सफलता से प्रेरित होकर चार्ल्स बैबेज एक ऐसे हीयंत्र की रूपरेखा तैयार की  जिसमें  इनपुट, आउटपुट,  स्टोर, कंट्रोल,  तथा मिल  जैसे मुख्य   पांच भागों में बांटा गया था,  जिस का प्रारूप आज के कंप्यूटर से काफी हद तक मिलता है|  इस मशीन की संरचना अपने आप में संपूर्ण थी,  इसमें न केवल अंक गणितीय क्रियाओं को करने की क्षमता थी बल्कि आउटपुट को  स्टोर करने का विचार भी इसी मशीन में पहली बार प्रस्तुत किया गया था|

(h) Tabulating Machine(टैबुलेटिंग मशीन)

इस का अविष्कार 1880 में Herman Hollerith (हरमन होलेरिथ) के द्वारा किया गया था |  इसमें इनफार्मेशन को punched कार्ड्स में स्टोर किया जाता था | 1896 में होलेरिथ ने टेबुलेटिंग मशीन कंपनी की स्थापना की थी जिसको 1924 में International Business Machines (IBM) कर दिया गया |

(i) Mark-1 (मार्क -1)

इस का अविष्कार 1930 में हावर्ड  आइकॉन   के द्वारा किया गया था | यह  विश्व की पहली Electromechanical  Calculation machine थी |

(ii) ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Calculator ) (एनिऐक)

इस का अविष्कार 1946 में J. Presper Eckert and John Mauchly   के द्वारा किया गया था | यह  विश्व का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था |

(iii) EDSAC (Electronic Delay Storage Automatic Calculator)

इस का अविष्कार 1949 में Maurice Wilkes ( मॉरीस विल्केस )   के द्वारा किया गया था |

Introduction to Computer

Introduction to Computer

October 26, 2018 by Balmukund Maurya

Chapter-1 Introduction to Computer 

(कंप्यूटर का परिचय)

1.0 परिचय (Introduction )

कंप्यूटर (Computer) शब्द अंग्रेजी के “Compute” शब्द से बना है, जिसका अर्थ है  गणना करना। इसलिए इसे संगणक भी कहते हैं, इसका आविष्कार गणनाएं करने के लिए किया गया था । शुरुआती समय में कंप्यूटर का उपयोग केवल गणनाएं करने के लिए किया जाता था । किन्‍तु वर्तमान समय में कंप्यूटर का उपयोग कई तरह से किया जाता है जैसे डॉक्यूमेंट बनाने, e-mail, गाने सुनना, फिल्में देखने तथा अलग-अलग संस्थानों में अलग-अलग तरह के कार्यों को करने के लिए उपयोग किया जाता है ।

Figure-1 Computer System

कंप्यूटर की एक से अधिक औपचारिक परिभाषाएं है:

“कंप्यूटर (Computer) एक उन्नत (advanced) इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो डेटा को User के द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर उपयोगी जानकारी में बदलता है।”

कंप्यूटर मूलतः दो भागों (Parts) में बटा होता है:

हार्डवेयर (Hardware)
सॉफ्टवेयर (Software)

1.1 Objectives

  • कंप्यूटर परिभाषा (Computer Definition)
  • कंप्यूटर का इतिहास (History of Computers)
  • कंप्यूटर के विभिन्न घटकों का वर्णन (Describe the various components of a Computer)
  • हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की अवधारणा (Concept of Hardware and Software)
  • कंप्यूटर का उपयोग ( Applications of Computer)
  • डाटा प्रोसेसिंग (Concept of Data Processing)
  • इस अध्याय पर आधारित मॉडल प्रश्न (Model Questions based on this chapter)

1.2 What is Computer (कंप्यूटर क्या है)?

“कंप्यूटर एक एडवांस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो यूजर के द्वारा दिए गए इंस्ट्रक्शंस (commands) को प्रोसेस करके उसे यूज़ फुल इनफार्मेशन में परिवर्तित करता है जिसको आउटपुट कहते हैं ”

Figure-2 Block Diagram of Computer

1.2.0 Basic Components of  Computer System(कंप्यूटर सिस्टम के मूल घटक)

(a)  Input Device

(b) CPU (ALU, CU, Memory)

(c) Output Device

(a) Input Device

Input Device  वे डिवाइस है जिनके द्वारा  यूजर डाटा अथवा निर्देशों को कंप्यूटर में इनपुट कर सकता है |  डाटा अथवा निर्देशों को कंप्यूटर के मस्तिक तक पहुंचाने के लिए यूजर विभिन्न प्रकार की इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं | इनपुट डाटा वह डाटा होता है जिसको प्रोसेसर के द्वारा प्रोसेस करके आउटपुट में परिवर्तित किया जाता है|इनपुट डिवाइस के रूप में यूज़र  मुख्यतः कीबोर्ड को प्रयोग करता है |

“इनपुट डिवाइस वे डिवाइस है  जो यूजर के द्वारा दिए गए निर्देशों अथवा आदेशों को कंप्यूटर की मस्तिष्क (CPU) तक पहुंचाने का कार्य करता है”

Types of Input Device (इनपुट डिवाइस के प्रकार)-

  • Keyboard
  • Mouse
  • Scanner
  • Trackball
  • Touch screen
  • Light pen
  • Digital Camera
  • Joystick
  • Digitizer Tablet
  • Barcode Reader
  • MICR (Magnetic Ink Character Recognition)
  • OCR (Optical Character Recognition)
  • OMR (Optical Mark Recognition)

(b) CPU

CPU को कंप्यूटर का दिमाग भी कहते हैं,  इसका पूरा नाम सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) है| यह कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है,  यूजर के द्वारा दिए गए इनपुट ( डाटा तथा निर्देश) को प्रोसेस करके उसे इंफॉर्मेशन में परिवर्तित करने का कार्य करता है, CPU  का मुख्य कार्य डाटा को प्रोसेस करना तथा कंप्यूटर से जुड़े हुए सभी तरह के डिवाइस को नियंत्रित करना|

CPU को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है:-

a) ALU (Arithmetic Logic Unit)

b) CU (Control Unit)

c) Memory

a) ALU (Arithmetic Logic Unit)

ALU का पूरा नाम अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट है| इस भाग का मुख्य कार्य अंकगणितीय  ( जोड़ घटाना गुणा भाग ) तथा तार्किक क्रियाएं (Logical Operations) करना है| ALU कंट्रोल यूनिट से निर्देश लेता है तथा मेमोरी से डाटा प्राप्त करता है और उसको प्रोसेसिंग के पश्चात मिलने वाली रिजल्ट को मेमोरी में स्टोर कर देता है| ALU के द्वारा की जाने वाली सभी घटनाएं बाइनरी नंबर सिस्टम पर आधारित होती हैं|

b) CU (Control Unit)

CU का पूरा नाम कंट्रोल यूनिट है |  इसका मुख्य कार्य सीपीयू से जुड़े हुए हैं विभिन्न प्रकार के डिवाइसेज को कंट्रोल करना  जैसे इनपुट , आउटपुट तथा ALU, मेमोरी के बीच डाटा तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान को भी निर्देशित करता है | या निर्देशों को मेमोरी से रीड करके उनको सिग्नस में परिवर्तित करता है तथा संबंधित डिवाइसेज तक पहुंचाने का कार्य करता है|

c) Memory

इस भाग का मुख्य  कार्य डाटा तथा इंफॉर्मेशन को स्टोर करना है | मेमोरी में स्टोर  किए गए डाटा को भविष्य में जरूरत करना कंप्यूटर के द्वारा रीड किया जा सकता है तथा प्रोसेसिंग के दौरान आंतरिक रिजल्ट को भी  स्टोर करने के लिए उपयोग किया जाता है|

मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:- 1  Main Memory ( मुख्य मेमोरी), 2 Primary Memory ( प्राथमिक मेमोरी)

Note:- मेमोरी से जुड़ी हुई अधिक जानकारी मेमोरी के भाग में विस्तार से बताएंगे|

d) Output Device

आउटपुट डिवाइस  वे डिवाइस होते हैं जहां पर प्रोसेसर के द्वारा प्रोसेस किए गए डाटा को आउटपुट के रूप में  प्राप्त किया जा सकता है| आउटपुट हमें अलग-अलग रूपों में देखने को मिलता है जैसे वीडियो ऑडियो इमेज टेक्स्ट और सिग्नल के रूप में जिन को प्राप्त करने के लिए अलग अलग तरह की और पुट डिवाइस का उपयोग किया जाता है|

Types Of Output Device (आउटपुट डिवाइस के प्रकार)-

  • Monitor (TFT, CRT, LCD)
  • Speaker
  • Printer
  • Plotter
  • Projector
  • Visual Display Unit
  • Head Phone etc.
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